चीन सरकार ने हाल ही में रिटायरमेंट की उम्र और काम करने की अवधि को बढ़ाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। यह बदलाव चीन की अर्थव्यवस्था और पेंशन फंड से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। इस लेख में हम इन बदलावों के पीछे की वजहें, जनता की प्रतिक्रिया और बढ़ती बुजुर्ग आबादी से जुड़ी चिंताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रिटायरमेंट की नई उम्र सीमा
चीन में अब तक शहरी क्षेत्रों में पुरुष कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु में और महिलाओं को उनके कार्य के आधार पर 50 या 55 वर्ष की आयु में रिटायर होने की अनुमति थी। नए नियमों के अनुसार, पुरुष कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र धीरे-धीरे बढ़ाकर 63 वर्ष कर दी जाएगी। वहीं, महिलाओं के लिए यह उम्र उनके व्यवसाय के आधार पर 55 से 58 वर्ष के बीच होगी। यह बदलाव धीरे-धीरे लागू किया जाएगा ताकि श्रम बाजार में संतुलन बना रहे और लोगों को बदलाव के अनुसार समायोजित होने का समय मिल सके।
काम करने की अवधि में बढ़ोतरी का निर्णय
सरकार ने काम करने की अवधि में बढ़ोतरी करने का भी फैसला किया है। अब पेंशन पाने के लिए न्यूनतम काम करने की अवधि को 15 साल से बढ़ाकर 20 साल करने की योजना बनाई गई है, जिसे 2030 तक लागू करने का लक्ष्य है। इसका मुख्य उद्देश्य पेंशन सिस्टम को मजबूत करना और घटते कार्यबल से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करना है।
पेंशन फंड पर बढ़ता दबाव
चीन की पेंशन प्रणाली पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो 2035 तक राज्य पेंशन फंड पूरी तरह से खत्म हो सकता है। कोविड-19 महामारी और उससे जुड़ी पाबंदियों ने स्थानीय सरकारों की वित्तीय स्थिति को भी प्रभावित किया, जिससे पेंशन फंड पर दबाव और बढ़ गया है। ऐसे में सरकार को यह महसूस हुआ कि रिटायरमेंट की उम्र और काम करने की अवधि बढ़ाने से इस दबाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
जनता का विरोध
सेवानिवृत्ति की उम्र और काम करने की अवधि बढ़ाने के फैसले को लेकर चीन में व्यापक जन-विरोध देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि यह फैसला जबरन कार्यकाल बढ़ाने और पेंशन पाने में देरी करने के लिए लिया गया है। कई लोगों का मानना है कि इस निर्णय से कर्मचारियों को लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
युवा बेरोजगारी की समस्या
चीन में बढ़ती युवा बेरोजगारी भी एक बड़ी चिंता का विषय है। जब रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई जाती है, तो इससे नई नौकरियों के लिए जगह कम हो जाती है, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हो सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ सबसे बड़ी नाराजगी की वजह यही है कि देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पहले से ही कम हैं, और यह बदलाव स्थिति को और खराब कर सकता है।
बढ़ती बुजुर्ग आबादी की चुनौती
चीन में बुजुर्ग आबादी तेजी से बढ़ रही है। 2030 से 2035 तक यह आंकड़ा 30 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, और 2050 तक यह संख्या 40 प्रतिशत तक जा सकती है। यह स्थिति चीन की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि अधिक बुजुर्ग लोगों के होने से कार्यबल में कमी और पेंशन फंड पर दबाव बढ़ता है।
बुजुर्ग आबादी की संख्या में वृद्धि के कारण स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सेवाओं पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। चीन सरकार के सामने चुनौती यह है कि वह इस बढ़ती बुजुर्ग आबादी की देखभाल कैसे करे और पेंशन सिस्टम को किस प्रकार मजबूत बनाए रखे।
सरकार के कदम और उनके उद्देश्य
चीन सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र में बदलाव और काम करने की अवधि बढ़ाने के फैसले को अपनी अर्थव्यवस्था और पेंशन सिस्टम के लिए आवश्यक कदम बताया है। सरकार का कहना है कि इस बदलाव से उन्हें पेंशन फंड में आ रही कमी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और कार्यबल में सुधार होगा। इसके साथ ही, वृद्ध नागरिकों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए यह कदम उठाना जरूरी हो गया था।
सरकार की योजना है कि इस बदलाव को धीरे-धीरे लागू किया जाए, ताकि लोग इसके अनुसार खुद को तैयार कर सकें और इसका अधिक विरोध न हो। साथ ही, यह कदम पेंशन फंड की समस्याओं को दीर्घकालिक समाधान देने की कोशिश है।
चीन में रिटायरमेंट की उम्र और काम करने की अवधि में बढ़ोतरी का निर्णय एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कदम है। जहां एक ओर सरकार इसे पेंशन सिस्टम और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए जरूरी मानती है, वहीं दूसरी ओर जनता इसका विरोध कर रही है। लोगों का मानना है कि इस फैसले से उनकी नौकरी की अवधि बढ़ेगी और पेंशन मिलने में देरी होगी, जिससे उनका स्वास्थ्य और जीवन प्रभावित हो सकता है।
बढ़ती बुजुर्ग आबादी और घटते कार्यबल की समस्याओं से निपटने के लिए चीन को इस प्रकार के कदम उठाने की जरूरत पड़ी। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस बदलाव के कारण होने वाले दुष्प्रभावों का सही तरीके से समाधान हो, ताकि सभी वर्गों के लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।